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Vastu for free – Try at ease

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वास्तु शास्त्र

वास्तु क्या और वास्तु कुछ टिप्स जो आपकी जिंदगी बदल देंगे

वास्तु शास्त्र एक बहुत पुराणी विद्या है जो बहुत्त कम लोग जानते है

इस कला में आप को पहले यह जनना होता है की आपके घर का डायरेक्शन किस तरफ है और आप कैसे उस में बदलाव ला के अपनी जिंदगी चेंज कर सकते है


वास्तु में यह जानकारी आपको पहले जनना चाहिए।

१) घर का मुख्य द्वार को हमेशा साफ़ रखे

२) घर के अंदर नलके टपकने नहीं चाहिए, यह ज्यादा खर्चो को दर्शाता है

३) घर का कप्बोर्ड जिसमे आप पैसे रखते है, उस के सामने आप शीशा रखे जो यह दर्शाता है की आपका पैसे दुगना हो

४) कभी भी अपने बिस्तर के अपोजिट में मिरर न रखे जो यह दर्शाता यह की कोई दिमार है एंड एनर्जी घर की सब ख़तम हो जाये

५) सबसे जरुरी बात, आप घर के बीचोबीच कभी भी कोई भारी सामान न रखे, इससे ब्रह्म स्थान कहते है और यह घर की एनर्जी को कायम रखता है

६) आपको नौकरी मिलने में मुश्किल हो रही हो तोह, कुबेर जी की मूर्ति उत्तर दिशा में रखे, जरूर लाभ होगा ( ऐसे न होने पर जररु ईमेल कर के और परामर्श ले)

७) घर के अंदर कोई घडी काम नहीं कर रही हो तोह जल्दी सेह उससे निकल दे यह चला ले, यह लाचारी और मजबूरी आने का सूचक है

८)  कभी-कभी घर में अचानक अशांति रहने लगती है. ऐसे में आप घर में 7 सफेद घोड़ों की तस्वीर लगाए. इससे घर की सभी मनहूसियत और नेगेटिव एनर्जी दूर हो जाती है, आप के काम करने की जगह पर घोड़े की तस्वीर लगाएं. इससे आपके काम में विकास और तरक्की होगी. आप अगर घर में काम करते है तो दौड़ते हुए सफेद घोड़े की तस्वीर पूर्व दिशा में लगाए और अगर आप ऑफिस जाते है तो इसे ऑफिस की दक्षिण दिशा की दीवार पर लगाएं

९) वास्तु के नियम के अनुसार उत्तर पूर्वी दिशा में पूजा घर बनाना चाहिए. उत्तर पूर्वी दिशा में कई लोग सीढ़ियां बनवा देते हैं. जबकि इससे घर में दोष होता है

१०) सूखे फूल घर में नहीं रखने चाहिए, तुलसी का पौधा पूर्व दिशा में या पूजा स्थान के पास होना चाहिए, घर में मंदिर स्थापित है तो वहां धूप आदि दें

११) देवी-देवताओं की खंडित मूर्तियां कभी भी घर में ना रखें।
१२) पूजा और दान के लिए घर में लाई गई वस्तुओं को अधिक दिनों तक घर में नहीं रखना चाहिए। तुरंत उन्हें इस्तेमाल कर लेना चाहिए।

१३) दक्षिण-पूर्व दिशा के कोने में हरियाली से परिपूर्ण चित्र लगाएं।

१४) वास्तु की मानें तो उत्तर या पूर्व दिशा में की गई जल की निकासी आर्थिक दृष्टि से शुभ होती है। इसलिए घर बनाते समय इस बात का अवश्य ध्यान रखना चाहिए।

१५) हर गुरुवार को तुलसी के पौधे को दूध चढ़ाना चाहिए।

१६) घर में सप्ताह में एक बार गूगल का धुआं करना शुभ होता है।

१७) घर के अग्नि कोण यानी दक्षिण-पूर्व दिशा में रोज शाम को कपूर जलाने से धन की वृद्धि होने के साथ आर्थिक समृद्धि बनी रहती है

१८) तिजोरी को हमेशा पूर्व, उत्तर व दक्षिण में ही रखें। तिजोरी भरी रहेगी।


१९) पानी उत्तर दिशा में रखें। इसमें किचन का सिंक, पाने का पानी सभी शामिल हैं। किचन में नीला रंग ना कराएं यह स्वास्थ्य की नजर से ठीक नहीं है, क्योंकि नीला रंग जहर का चिह्न है। अगर गैस पूर्व में रखना संभव ना हो, तो पश्चिम दिशा में छोटा सा आईना लगाएं।


२०) फ्लोरिंग, दीवार या छत आदि पर दरारे नहीं पड़नी चाहिए। यदि ऐसा है तो उन्हें शीघ्र ही भरवा देना चाहिए।


वास्तु शास्त्र की उत्पत्ति स्थापत्य वेद में हुई है जो अथर्ववेद का एक हिस्सा है। वास्तु शास्त्र का उल्लेख हमारे प्राचीन शास्त्रों जैसे महाभारत और रामायण में भी किया गया है। भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार, वास्तु एक असुर (दानव) है जिसने ब्रम्हदेव से प्रार्थना की और वरदान प्राप्त किया। इसने, बदले में, उसके अंदर एक अतृप्त भूख को जन्म दिया। उनकी शक्ति इस हद तक बढ़ गई कि उन्होंने उनकी ऊर्जा का उपभोग करने के प्रयास में देवताओं (देवताओं) पर हमला किया।

देवताओं ने तब ब्रम्हदेव से इस संकट से छुटकारा पाने में मदद करने के लिए कहा। ब्रम्हदेव ने देवताओं से वास्तु के साथ युद्ध करने को कहा। लड़ाई के दौरान, वास्तु को वापस पृथ्वी पर धकेल दिया गया और वह अपनी पीठ के बल सपाट हो गया और इस पैर को निरर्तिकों की ओर और उसके सिर को ईशंकों की ओर इशारा किया। ब्रम्हदेव ने तब देवताओं से वास्तु के प्रत्येक अंग पर कूदने और बैठने के लिए कहा क्योंकि यही एकमात्र तरीका होगा जिससे उन्हें मारा जा सकता है। ब्रम्हदेव स्वयं वास्तु के मध्य में बैठ गए और उन्होंने वास्तु को परास्त कर मार डाला।

ऐसा कहा जाता है कि ‘वास्तुपुरुष’ अभी भी उसी स्थिति में है जिसमें उसके हाथ उसकी छाती पर टिके हुए हैं। जिस संरचना में देव वास्तु पर बैठे थे, उसका उपयोग एक ग्रिड आरेख का मसौदा तैयार करने के लिए किया गया था, जो वास्तु विशेषज्ञों को आवास में अनुकूल दिशा तय करने में मदद करता है।


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